नितिका एवं व्योम की मित्रता पूरे कॉलेज में मशहूर थी।जो निकट से जानते थे वे तो उनकी अनोखी दोस्ती के कायल थे।औऱ जो उनसे ठीक से परिचित नहीं थे, या वो लोग जिनका सबसे प्रिय मनोरंजन बाल की खाल निकलकर हर बात को गलत तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर बताना होता है,उनके लिए उनकी मित्रता दिखावा मात्र थी।क्योंकि अधिकतर लोगों की यही मान्यता है कि एक लड़का और लड़की में सच्ची मित्रता हो ही नहीं सकती।खैर, उन दोनों को लोगों के विश्लेषण एवं सोच से कोई लेना देना नहीं था,वे मानते थे कि जब हम सही हैं तो हमें किसी को भी कैफियत देने की कोई जरूरत नहीं।
नितिका खुले विचारों वाली स्पष्टवादी, आधुनिक युवती थी, जहाँ वह आधुनिक वस्त्रों को बेहिचक धारण करती थी, वहीं तीज-त्योहार, फंक्शन में पारंपरिक परिधानों को बड़े शौक से पहनती थी।हर विषय पर विस्तार से परिचर्चा करती थी, चाहे वह राजनीति हो,फिल्में हों,सामाजिक सरोकार या अर्थव्यवस्था।अगर कोई गलत है तो विरोध करने से पीछे नहीं हटती थी,जिससे अक्सर लोग उसके विरोधी हो जाते थे लेकिन किसी की आवश्यकता पर मदद का हाथ सबसे पहले वही बढ़ाती थी।अतः उसके पक्षधरों की भी बहुतायत थी।
वहीं व्योम थोड़ा अंतर्मुखी, धीर-गम्भीर व्यक्तित्व का युवक था।उसके मित्रों की संख्या भी अल्प थी।वह कोई भी कार्य अत्यंत सोच-विचार कर करने का पक्षधर था।दोनों ने MBA में प्रवेश लिया था, वहीं उनकी प्रथम मुलाकात हुई थी।लगभग विपरीत व्यक्तित्व के व्योम-नितिका में एक जबरदस्त साम्य था, अपनी पढ़ाई के प्रति अत्यधिक गम्भीरता,इसी कारण जहाँ अन्य मित्र खाली समय गप्प मारने में बिताते ,वे लाइब्रेरी में साथ अध्ययन करते,विचारों का आदान-प्रदान भी चलता रहता।धीरे-धीरे मैत्री प्रगाढ़ होती गई।नितिका ने प्रारंभ में ही यह स्पष्ट कर दिया कि हमारी मित्रता को हम आजीवन निभाएंगे, लेकिन इसे किसी और रिश्ते में परिवर्तित करने का प्रयास कदापि नहीं करेंगे।उसका मानना था कि दोस्ती के मायने बदलने पर एकाधिकार की भावना प्रबल हो जाती है, अपेक्षाएं बढ़ने से शिकायतें बढ़ने लगती हैं।और मैं किसी भी कीमत पर अपनी मित्रता को खोना नहीं चाहूंगी।व्योम ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था उसके विचारों को।और मित्र भी साथ होते, लेकिन ज्यादातर समय वे दोनों ही साथ रहते।
व्योम उसी शहर में अपनी मां के साथ रहता था, उसके पिता काफी समय पूर्व ही स्वर्गवासी हो चुके थे, मां पिता के स्थान पर नौकरी करने लगी थीं।नितिका हॉस्टल में रहती थी, उसके माता-पिता एवं बड़ा भाई दूसरे शहर में रहते थे।वह व्योम के साथ कई बार उसके घर जा चुकी थी।व्योम की मां नितिका को काफी पसंद करती थीं।
अंतिम वर्ष का आखिरी समय था।किसी कार्य से व्योम मुंबई गया हुआ था।जाने के दूसरे ही दिन व्योम की माँ का फोन नितिका के पास आया कि बेटा कुछ तबियत खराब सी लग रही है, आ जाओ।नितिका अविलंब पहुंची तो देखा कि आंटी पसीने से लथपथ हो रहीं थीं, वह तुरंत उन्हें कार से हॉस्पिटल लेकर गई,ज्ञात हुआ कि हार्ट अटैक आया था, उसने व्योम को सूचना तो दे दी, लेकिन हार्ट सर्जरी तुरंत होनी आवश्यक थी,अतः नितिका ने त्वरित निर्णय लेते हुए एंजियोप्लास्टी करवा दिया।समय से चिकित्सा प्राप्त होने के कारण उनकी जान बच गई।
स्वस्थ होने पर घर आने पर भी नितिका ने पूरे हफ्ते बेटी की तरह ध्यान रखा।व्योम की माँ की आंखों में एक नया सपना पलने लगा था, नितिका को बहू बनाने का।एक दिन मौका देखकर उन्होंने नितिका के समक्ष अपनी इच्छा को जाहिर कर दिया।
नितिका ने कहा,”आँटी, व्योम बहुत अच्छा है, मैं मानती हूं। हम बेहद अच्छे मित्र हैं लेकिन हमने प्रारंभ में ही निर्धारित कर लिया था कि हम अपनी मित्रता को कभी प्रेम या विवाह में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेंगे।ऐसा भी नहीं है कि अच्छे मित्र अच्छे पति-पत्नी नहीं बन सकते हैं लेकिन बस यह मेरी अपनी आंतरिक भावना है।आधुनिक होने के बावजूद मैं अरेंज मैरिज करना चाहती हूं, एक नितांत अजनबी से विवाह, फिर उसे जानना-समझना मुझे बेहद रोमांचक प्रतीत होता है।हालांकि मेरे कहने मात्र से मेरे परिवार वाले मेरी पसंद को स्वीकृति दे देंगे,यहां तक कि वे स्वयं व्योम से विवाह की बात मुझसे पूछ चुके हैं,लेकिन मैं अपने मित्र को खोना नहीं चाहती।प्लीज, आप मेरी बात का बुरा मत मानिएगा।”
उन्होंने मुस्करा कर कहा,”तुम्हारी इसी स्पष्टवादिता की तो मैं कायल हूँ।खैर, बहू न सही, बेटी तो हो ही।तुम सदा खुश रहो।”
शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात इत्तेफाक से एक ही शहर में दोनों अच्छी कम्पनियों में जॉब करने लगे,अतः मिलना जुलना बदस्तूर जारी रहा।इसी बीच एक सहयोगी साथी अरुणिमा जुड़ गई नितिका के साथ।एक दिन अरु ने नितिका से व्योम के बारे में पूछ ही लिया,जो बात काफी दिनों से घुमड़ रही थी उसके मन में।अरु ने कहा कि वह व्योम के बारे में जानना चाहती है।नितिका समझ गई अरु के अनकहे प्रश्न को।
नितिका ने अरु को भी अपने विचारों से अवगत कराते हुए बताया कि उसके माता-पिता उसके लिए वर की तलाश कर रहे हैं।फिर मुस्कराते हुए कहा कि व्योम बेहद समझदार युवक है, यदि तुम चाहो तो उसे प्रपोज कर सकती हो।अरु ने भी उसी टोन में जबाब दिया,मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही हूं, थोड़ी सिफारिश तुम भी कर देना।
धीरे धीरे मिलते-जुलते व्योम भी अरु को पसन्द करने लगा।जब उसने नितिका से अरुणिमा के बारे में पूछा,तो नितिका ने भी उसकी तारीफ की।शीघ्र ही व्योम और अरु ने पारिवारिक सहमति से विवाह कर लिया।कुछ माह पश्चात नितिका का भी विवाह योग्य युवक से सम्पन्न हो गया।अब नितिका का पति भी उनके ग्रुप में सम्मिलित हो गया था।
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